‘Dangerous’ virus attack on WhatsApp and Facebook Messenger | वॉट्सऐप और फेसबुक मेसेंजर पर ‘खतरनाक’ वायरस का अटैक
- ‘Dangerous’ virus attack on WhatsApp and Facebook Messenger
- वॉट्सऐप और फेसबुक मेसेंजर पर ‘खतरनाक’ वायरस का अटैक
(ENGLISH)
Alert: ‘Dangerous’ virus attack on WhatsApp and Facebook Messenger
So let’s know about these screens
The malware surfaced is named WolfRAT and its campaign was targeting users in Thailand. Researchers believe that Wolf Research operates this malware, a spyware organization in Germany. This organization also provides tools related to espionage to the government. In their analysis, the researchers said that chat details such as WhatsApp records, Messenger, and SMS can contain users’ sensitive information, and often people forget after sharing such details.
- Attack with the help of links
Researchers said in the report, ‘We have found that WolfRAT is targeting most popular encrypted apps in Asia and maybe overshadowed by the negligence of users. This malware can also dodge alert users using end-to-end encrypted chatting apps and create a Victim. ‘ Researchers at security company Cisco Talos believe that this malware can be installed with the help of phishing/smishing links sent to the device.
- The only way of protection
After downloading the device, WolfRAT works just like a normal app like Google Play Apps or Flash Updates. The malware installs with a package name such as com.google.services, so that the user does not suspect that the package is connected to Google. At the same time, in the back-end, this malware attacks the data of the messaging apps and the user does not even know. To avoid this, only downloading apps from the Google Play Store is one way.
(HINDI)
तो आइये जानते हैं इन स्क्रीन्स के बारे में
सामने आए मैलवेयर का नाम WolfRAT है और इसका कैंपेन थाईलैंड में यूजर्स को टारगेट कर रहा था। रिसर्चर्स का मानना है कि इस मैलवेयर को जर्मनी का एक स्पाईवेयर ऑर्गनाइजेशन Wolf Research ऑपरेट करता है। यह ऑर्गनाइजेशन सरकार को जासूसी करने से जुड़े टूल्स भी उपलब्ध करवाता है। अपने एनालिसिस में रिसर्चर्स ने कहा कि चैट डीटेल्स जैसे वॉट्सऐप रेकॉर्ड्स, मेसेंजर और एसएमएस में यूजर्स की सेसिंटिव इन्फॉर्मेशन हो सकती है और अक्सर लोग ऐसे डीटेल्स शेयर करने के बाद भूल जाते हैं।
- लिंक्स की मदद से अटैक
रिपोर्ट में रिसर्चर्स ने कहा, ‘हमें देखने को मिला है कि WolfRAT एशिया में ज्यादातर पॉप्युलर एनक्रिप्टेड ऐप्स को निशाना बना रहा है और यूजर्स की लापरवाही पर भारी पड़ सकता है। यह मैलवेयर एंड-टू-एंड एनक्रिप्टेड चैटिंग ऐप्स यूज करने वाले अलर्ट यूजर्स को भी चकमा दे सकता है और विक्टिम बना सकता है।’ सिक्यॉरिटी कंपनी Cisco Talos के रिसर्चर्स का मानना है कि यह मैलवेयर डिवाइस पर भेजे गए फिशिंग/स्मिशिंग लिंक्स की मदद से इंस्टॉल हो सकता है।
- बचाव का एक ही तरीका
डिवाइस में डाउनलोड होने के बाद WolfRAT किसी नॉर्मल ऐप जैसे Google Play Apps या फिर Flash Updates की तरह ही काम करता है। मैलवेयर com.google.services जैसे पैकेज नेम के साथ इंस्टॉल होता है, जिससे यूजर को इसपर शक ना हो और लगे कि यह पैकेज गूगल से जुड़ा है। वहीं, बैक-एंड में यह मैलवेयर मेसेजिंग ऐप्स के डेटा पर अटैक कर देता है और यूजर को पता तक नहीं चलता। इससे बचने के लिए केवल गूगल प्ले स्टोर से ऐप्स डाउनलोड करना एक तरीका है।